बोधन राम निषाद राज के तीन छत्‍तीसगढ़ी गीत

1. पनिया भरन खातिर

पनिया भरन खातिर, जावय सगरी।।
छोटे छोटे हाथ मा, धरे छोटे गघरी।।

जमुना के तीर खड़े,जोहत सईया।
रसता ल देखय, मया के करईया।।
कदम के डार तरी, बाजय बँसरी।
पनिया भरन खातिर…………….

वृन्दाबन के छोरा,बरसाना के छोरी।
रास रचाए ब्रज में, नाचे गोपी गोरी।।
गइया पाछू घुमे बन मा, ओढ़े खुमरी।
पनिया भरन खातिर…………….

लाज शरम छोड़े,नाता निभाए बर।
किशन मुरारी संग, दिन पहाए बर।।
सुध ला बिसार डारे, राधा बपरी।
पनिया भरन खातिर…………….



2. मेहनत हे भगवान

मेहनत हे पूजा अउ, मेहनत हे भगवान।
मेहनत बिना रोजी रोटी,नइ मिले इंसान।।
मेहनत हे पूजा अउ…

डिपरा ल खनौ संगी,खोचका खँचवा पाटव।
पेज पसिया पीलौ संगी,सुख दुख ल बाँटव।
जाँगर पेरौ कमा कमा,आवव सबो जवान।
मेहनत हे पूजा अउ…..

सँग सँग म साथ चलौ,जुरके सबो कमाहू।
पथरा में पानी ओगराहु,बंजर अन्न उगाहू।।
तुँहर सेती देश चलै,देवता तुमन किसान।
मेहनत हे पूजा अउ…….

देखौ तोरे मेहनत पाछू,बनगे महल अटारी।
नवा बने हे रद्दा देखौ,दुनिया के संगवारी।।
लालच लोभ ला छोड़व,झन बेचौ ईमान।
मेहनत हे पूजा अउ…….



3. ब्रज के मुरारी

ब्रज के मुरारी घनश्याम रे,
मोह डारे सखी आला।
माखन दही तँय लुटाय रे,
कान्हा नन्द जी के लाला।

जसोदा हे मईया तोर,
नन्द लाल जी के रनिया।
झूला झुलावै खिंचे डोर रे,
नटखट मुरली वाला।
कान्हा नन्द जी के लाला…

गईया चराए बन मा,
लीला तँय दिखाए।
बाँसुरी बजाए नाचे,
गोपियन ब्रज बाला।
कान्हा नन्द जी के लाला…

राधा गोरी नारी दिखय,
आँखीं हिरनी वाली।
हलधर के भाई तँय,
गर मा बैजन्ती माला।
कान्हा नन्द जी के लाला…

बोधन राम निषाद राज
सहसपुर लोहारा, कबीरधाम (छ.ग)
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